Wednesday 10 January 2018

|| श्री स्वामी समर्थ ||


|| श्री स्वामी समर्थ ||

ब्रह्मानंदं परमसुखदं केवलं ज्ञानमुर्तिम्‌! द्वंद्वातीतं गगनसदृशं तत्वमस्यादिलक्ष्यम्‌‍! एकं नित्यं विमलमचलं सर्वधीसाक्षीभूतं! भावातीतं त्रिगुणरहितं सद्‌गुरुं तं नमामि!!

ॐ रक्तांग रक्तवर्ण पद्मनेत्र सुहास्यवदन कथा- टोपी- च माला कमण्डलुधर कट्यांकर रक्षक त्रैगुण्यरहित त्रैलोक्यपालक विश्वनायक भक्तवत्सल कलियुगे श्रीस्वामीसमर्थावतारधारक पाहि माम्‌! पाहि माम्‌!

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जय श्री स्वामी समर्थ

मन मंदिरी या दिप उजळले, गुरू सहवासी रमता।                                                       ब्रह्मा,विष्णू,महेशांच्या पदकमलांशी नमता...