Thursday, 1 February 2018

जय श्री स्वामी समर्थ


मन मंदिरी या दिप उजळले, गुरू सहवासी रमता।                                                       ब्रह्मा,विष्णू,महेशांच्या पदकमलांशी नमता।                              रवी शशीचे तेज मुखावर, चमत्कार हा पहा जरा                                                  प्रदक्षिणा करता करता म्हणू, श्रीपाद वल्लभ दिगंबरा।                                                        दिगंबरा दिगंबरा श्रीपाद वल्लभ दिगंबरा                                                                                🕉।।जय श्री गुरुदेव दत्त।।🕉                                                           🕉।।जय श्री स्वामी समर्थ।।🕉

Wednesday, 10 January 2018

|| श्री स्वामी समर्थ ||


|| श्री स्वामी समर्थ ||

ब्रह्मानंदं परमसुखदं केवलं ज्ञानमुर्तिम्‌! द्वंद्वातीतं गगनसदृशं तत्वमस्यादिलक्ष्यम्‌‍! एकं नित्यं विमलमचलं सर्वधीसाक्षीभूतं! भावातीतं त्रिगुणरहितं सद्‌गुरुं तं नमामि!!

ॐ रक्तांग रक्तवर्ण पद्मनेत्र सुहास्यवदन कथा- टोपी- च माला कमण्डलुधर कट्यांकर रक्षक त्रैगुण्यरहित त्रैलोक्यपालक विश्वनायक भक्तवत्सल कलियुगे श्रीस्वामीसमर्थावतारधारक पाहि माम्‌! पाहि माम्‌!

Tuesday, 9 January 2018

ओम नमो भगवते श्रीस्वामी समर्थाय नमः


!! ओम नमो भगवते श्रीस्वामी समर्थाय नमः !!
मनाची शक्ती ही फार मोठी शक्ती आहे. मनाचे मांगल्य, पावित्र्य कायम ठेवण्यासाठी समर्थानी नामस्मरणाचा आग्रह धरला. नामस्मरणाच्या उपासनेद्वारे अनेक जणांना त्यांनी भक्तिमार्गाला लावले. स्वामी समर्थानी जीवनासंबंधी जो वास्तव दृष्टिकोन आपणांस दिला, त्याचे चिंतन करावे. त्यांच्या जीवनात सर्वत्र अलिप्तता दिसते. याबरोबरच करुणा, संयम, दाक्षिण्य, ऋजुभाव, नि:स्पृहपणा, सत्याची आवड, इ. अनंत सद्गुण जरी आपल्या जीवनात खऱ्या अर्थाने उतरला, तर आपले जीवन खरोखरी धन्य होईल.
🙏🙏🌹 श्री स्वामी समर्थ गुरूमाऊली🌹🙏🙏

Sunday, 7 January 2018

श्री स्वामी समर्थ जय जय स्वामी समर्थ


सुमंगल सुप्रभात दोस्त हो
स्वामी भक्त हो श्री स्वामी समर्थ

।।श्री स्वामी समर्थ जय जय स्वामी समर्थ।।

स्वामी समर्थ संकटहर्ता
दिन दुबळ्यांचे तुम्हि रक्षणकर्ता
""भिऊ नकोस, मी तुझ्या पाठीशी आहे""
नित्य वचन हे स्मरणी आहे
रात्रंदिनी धाव्यात गुंततो
मनोमनी मी तुम्हाला वंदतो
माझे दु:खहरण तुम्हीच करशी
मज आनंदी क्षण तुम्हीच देशी
ऊपकार तुमचे मानु किती मी
अनंत जन्मी तुमचा रुणी मी
शोधुन मिळत नाहि पुण्य..
सेवार्थाने व्हावे धन्य..
कोण आहे तुमच्यावीना अन्य
स्वामी तुमच्या वीना जग हे शुन्य.

।।श्री स्वामी समर्थ जय जय स्वामी समर्थ।।

Wednesday, 3 January 2018

श्री स्वामी समर्थ (श्री अक्कलकोट स्वामी समर्थ)


 श्री स्वामी समर्थ (श्री अक्कलकोट स्वामी समर्थ) 15 शताब्दी के भगवान दत्तात्रय यानि श्रीमद नरसिम्हा सरस्वती के अवतार माने जाते है।

श्री स्वामी समर्थ महाराज, अक्कलकोट –

“श्री गुरुचरित्र” इस पवित्र ग्रंथ में उल्लेख है की सन 1458 में श्रीमद नरसिम्हा सरस्वती ने कर्दालिवन में महासमाधि ली थी। 300 साल से भी अधिक समय तक वो उस समाधी में रहे। लेकिन एक दिन वहा पर एक लकडहारा आने से और उसके पेड़ काटने की वजह से श्रीमद नरसिम्हा सरस्वती अपनी लम्बी समाधी से जागृत हो गए। उस दिव्य शक्ति को आज हम श्री स्वामी समर्थ नाम से जानते है। समाधी से निकलने बाद श्रीमद नरसिम्हा सरस्वती ने सम्पूर्ण देश की यात्रा की।
कहा जाता हैं स्वामी समर्थ कर्दाली जंगल में से आये है। उन्होंने कई बार जगन्नाथ पूरी, बनारस (काशी), हरिद्वार, गिरनार, काठियावाड़ और रामेश्वरम और साथ ही चीन, तिब्बत और नेपाल जैसे विदेशो में भेट दी। अक्कलकोट में स्तायिक होने से पूर्व वो मंगलवेढ़ा शहर जो पंढरपुर(सोलापुर जिला) के नजिक है वहा पर रहा करते थे।
22 साल तक वो अक्कलकोट के बाहरी हिस्से में रहे। कर्नाटक के गणगपुरा में लम्बे समय तक रहने के पश्चात उन्होंने अपनी निर्गुण पादुका अपने शिष्यों की दे दी और उसके बाद वो कर्दाली जंगल में जाने के लिए रवाना हुए।

श्री स्वामी समर्थ महाराज समाधी 

सन 1878 में चैत्र माह (अप्रैल-मई) के तेरावे दिन श्री स्वामी समर्थ ने समाधी ली।
For Video click here - https://youtu.be/udI0Du_vHNA

Tuesday, 2 January 2018

श्री स्वामी समर्थ ने समय समय पर दिए हुए कुछ महत्वपूर्ण वक्तव्य निचे दिए हुए है।

श्री स्वामी समर्थ ने समय समय पर दिए हुए कुछ महत्वपूर्ण वक्तव्य निचे दिए हुए है।

  • फल की अपेक्षा ना करते हुए कर्म करते रहो।
  • प्रामाणिक मेहनत करके ही अपनी उपजीविका का वहन करो।
  • जब भी आप किसी अध्यात्मिक मार्ग पर चलने वाले सक्षम मार्गदर्शक से मिलते हो, उससे ज्यादा से ज्यादा ज्ञान और उपदेश लेने की कोशिश करो। जिस तरह कोई भी खेत अपने आप कोई फसल नहीं देता उसी तरह हर कोई ज्ञानी व्यक्ति अपना ज्ञान स्वयं बाटते फिरता नहीं।
  • अध्यात्मिक मार्ग पर चलते समय यदि आपको अध्यात्मिक शक्ति मिल भी जाये तब भी आप उन शक्तियों का चमत्कार करने के लिए उपयोग ना करे।
  • अध्यात्मिक मार्ग पर चलने वाले लोगों का व्यवहार शुद्ध और धार्मिक होना चाहिए।
  • संतो द्वारा रचित वैदिक ग्रंथो को पढ़ना चाहिए और उन्हें दोहराना चाहिए।
  • शरीर की बाह्य पवित्रता टिकाने के लिए अपने मन को भी शुद्ध रखने का प्रयास करो।
  • केवल किताबों के आधार पर मिला हुआ ज्ञान आत्मज्ञान की प्राप्ति तक नहीं पंहुचा सकता। इसलिए प्राप्त किए ज्ञान का जीवन में उपयोग करो।
  • सभी अनुयायी में ढृढ़ विश्वास और भक्तिभाव होना चाहिए।
For video click here 👉👉https://youtu.be/fhlI7MJ0-W0

Monday, 1 January 2018

-।। श्री स्वामी समर्थ जय जय स्वामी समर्थ ।। भिऊ नकोस मी तुझ्या पाठीशी आहे ।।

-।। श्री स्वामी समर्थ जय जय स्वामी समर्थ ।। भिऊ नकोस मी तुझ्या पाठीशी आहे ।।

 - संदेश
समाधानी रहा - सुखी व्हाल.
"मी" पण सोडा, मोठे व्हाल.
कला शिका , अमर व्हाल.
सहाय्य करा,सोबत मिळेल.
व्यसन सोडा,शांती मिळेल.
प्रार्थना करा,प्रगती होईल.
ध्यान करा,ज्ञान मिळेल.
दान करा,धन मिळेल.
भक्ती करा,मुक्ती मिळेल.
श्रम करा,सुख मिळेल.

For video
दिव्य महादर्शन- गाणगापुर दरबार.
श्रीक्षेत्र दत्तपीठ गाणगापुर येथे श्री स्वामी समर्थ महाराजांच्या चांदीच्या मुर्ती स्थापने प्रसंगीचा एक क्षण. परमपूज्य चंद्रकांतदादा पूजन करतांना.
https://youtu.be/jHuvQ8F-I4I

जय श्री स्वामी समर्थ

मन मंदिरी या दिप उजळले, गुरू सहवासी रमता।                                                       ब्रह्मा,विष्णू,महेशांच्या पदकमलांशी नमता...